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स्वैच्छिक रक्तदान क्रांति

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :127
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9604
आईएसबीएन :9781613015834

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स्वैच्छिक रक्तदान करना तथा कराना महापुण्य का कार्य है। जब किसी इंसान को रक्त की आवश्यकता पड़ती है तभी उसे इसके महत्त्व का पता लगता है या किसी के द्वारा समझाने, प्रेरित करने पर रक्तदान के लिए तैयार होता है।


रक्तऋणी


स्पेशल वार्ड के
बैड नम्बर दो पर
रात्री के ग्यारह बजे
जाग रही है मेरी आँख।

कल ऑपरेशन है
यह घबराहट नहीं है
परन्तु उधेड़ बुन में हूं
ऑपरेशन के लिए
रक्त कहां से आयेगा।

यूं तो सात बार रक्तदान किया
परन्तु नहीं
रक्त के बदले रक्त
नहीं.. ...
लोग गुप्तदान करते हैं
क्योंकि दान उन्मादित करता है।
भूल जाना चाहिए
एक हाथ दे
दूसरे को मालूम न हो।

वैसे भी दान किया
गरीब होने पर
वापिस नहीं मांगा जाता।

मैं सड़क के किनारे पड़ा
लावारिस घायल नहीं हूं
कि अनजान रक्तदाता का
रक्त ऋणी बनूं।

मेरा परिवार है समाज है
वो मेरे लिए रक्तदान करेंगे
कभी मैं उनके लिए
रक्तदान करूंगा।

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