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सूक्तियाँ एवं सुभाषित

स्वामी विवेकानन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :95
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9602
आईएसबीएन :9781613012598

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अत्यन्त सारगर्भित, उद्बोधक तथा स्कूर्तिदायक हैं एवं अन्यत्र न पाये जाने वाले अनेक मौलिक विचारों से परिपूर्ण होने के नाते ये 'सूक्तियाँ एवं सुभाषित, विवेकानन्द-साहित्य में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।


123. मैं यूनानी देवताओं की भी उपासना नहीं करूंगा, क्योंकि वे मानवता से पृथक् थे। केवल उन्हीं की उपासना करनी चाहिए, जो हमारे समान परन्तु हमसे महान् हों। देवताओं और मुझमें केवल परिमाण का अन्तर होना चाहिए।

124. एक कीड़े पर पत्थर गिरता है और उसे कुचल देता है। इससे हम अनुमान करते हैं कि सभी पत्थर कीड़े पर गिरने पर उसे कुचल देते हैं। हम अपनी प्रत्यक्ष अनुभूति का प्रयोग तत्काल ही फिर इस प्रकार क्यों करते हैं? कोई कहता है, अनुभव करो। लेकिन मान लें कि यह प्रथम बार ही घटित होता है। किसी शिशु को ऊपर उछालो तो वह चिल्ला पड़ता है। क्या यह पिछले जीवन का अनुभव है? पर यह भविष्य पर क्यों लागू किया जाता है? चूंकि कुछ चीजों के बीच एक वास्तविक सम्बन्ध होता है - 'व्यापकता'। हमें केवल यह देखना है कि वह लक्षण हमारे दृष्टान्त का न तो अतिक्रमण करे, और न उससे घटकर निकले। इसी मान्यता पर मनुष्य का सारा ज्ञान निर्भर है।

भ्रान्तियों के सम्बन्ध में यह याद रखना चाहिए, कि प्रत्यक्ष तभी एक प्रमाण हो सकता है, जब इन्द्रिय, विधि और प्रत्यक्ष का स्थायित्व आदि सब शुद्ध रखे जांये। रोग अथवा मनोवेग का प्रभाव निरीक्षण में बाधा पहुँचायेगा। स्वयं प्रत्यक्ष बोध भी अनुमान का ही एक रूप है। अत: समस्त मानव-ज्ञान अनिश्चित है तथा भ्रमपूर्ण हो सकता है। सच्चा साक्षी कौन है? वही सच्चा साक्षी है, जिसके लिए कही हुई वस्तु प्रत्यक्षानुभूति हो। अत: वेद सत्य हैं, क्योंकि उनमें अधिकारी पुरुषों की साक्षी अन्तर्निहित है। परन्तु क्या प्रत्यक्षीकरण की यह क्षमता कुछ विशेष लोगों में ही होती है? नहीं! ऋषि, आर्य और म्लेच्छ, सभी में वह एक समान विद्यमान है।

बंगाल के नव्यन्याय मतानुसार शब्दप्रमाण प्रत्यक्ष अनुभूति का एक विशेष प्रकार मात्र है और उपमान एवं अर्थापत्ति केवल निम्न कोटि के अनुमान हैं। अतएव प्रत्यक्ष अनुभूति और अनुमान ये ही दो वास्तविक प्रमाण हैं।

मनुष्यों का एक वर्ग, बाह्य अभिव्यक्ति को प्राथमिकता प्रदान करता है, दूसरा आन्तरिक भाव को। कौन पहले हुआ? चिड़िया अण्डे से पहले अथवा अण्डा चिड़िया से? तेल कटोरे को थामे है या कटोरा तेल को? यह एक ऐसी समस्या है, जिसका कोई हल नहीं है। इसे छोड़ दो। माया से बचकर निकल आओ!

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