लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> शक्तिदायी विचार

शक्तिदायी विचार

स्वामी विवेकानन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :57
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9601
आईएसबीएन :9781613012420

Like this Hindi book 9 पाठकों को प्रिय

422 पाठक हैं

ये विचार बड़े ही स्फूर्तिदायक, शक्तिशाली तथा यथार्थ मनुष्यत्व के निर्माण के निमित्त अद्वितीय पथप्रदर्शक हैं।


•    दुखियों के दु:ख का अनुभव करो और उनकी सहायता करने को आगे बढ़ो, भगवान् तुम्हें सफलता देंगे ही। मैंने अपने हृदय में इस भार को औऱ मस्तिष्क में इस विचार को रखकर बारह वर्ष तक भ्रमण किया। मैं तथाकथित बड़े औऱ धनवान व्यक्तियों के दरवाजों पर गया। वेदना-भरा हृदय लेकर और संसार का आधा भाग पार कर, सहायता प्राप्त करने के लिए मैं इस देश (अमरीका) में आया। ईश्वर महान् है। जानता हूँ, वह मेरी सहायता करेगा। मैं इस भूखण्ड में शीत से या भूख से भले ही मर जाऊँ, पर हे तरुणो, मैं तुम्हारे लिए एक बसीयत छोड़ जाता हूँ; और वह है यह सहानुभूति – गरीबों, अज्ञानियों, और दु:खियों की सेवा के लिए प्राणपण से चेष्टा।

•    मनुष्य अल्पायु है और संसार की सब वस्तुएँ वृथा तथा क्षणभंगुर हैं, पर वे ही जीवित हैं, जो दूसरों के लिए जीते हैं; शेष सब तो जीवित की अपेक्ष मृत ही अधिक हैं।

•    मैं उस धर्म और ईश्वर में विश्वास नहीं करता, जो विधवा के आँसू पोंछने या अनाथों को रोटी देने में असमर्थ है।

•    हे वत्स, प्रेम कभी विफल नहीं होता; आज कल या युगों के पश्चात कभी न कभी सत्य की विजय निश्चय होगी। प्रेम विजय प्राप्त करेगा। क्या तुम अपने साथियों से प्रेम करते हो?

•    तुम्हें ईश्वर को ढूँढ़ने कहाँ जाना है? क्या गरीब, दु:खी और निर्बल ईश्वर नहीं है? पहले उन्हीं की पूजा क्यों नहीं करते? तुम गंगा के किनारे खड़े होकर कुआँ क्यों खोदते हो?

•    प्रेम की सर्वशक्तिमत्ता पर विश्वास करो।......क्या तुममें प्रेम है? तुम सर्वशक्तिमान हो। क्या तुम पूर्णत: नि:स्वार्थी हो? यदि हाँ, तो तुम अजेय हो। चरित्र ही सर्वत्र फलदायक है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai