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शक्तिदायी विचार

स्वामी विवेकानन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :57
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9601
आईएसबीएन :9781613012420

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ये विचार बड़े ही स्फूर्तिदायक, शक्तिशाली तथा यथार्थ मनुष्यत्व के निर्माण के निमित्त अद्वितीय पथप्रदर्शक हैं।


•    अपने भाइयों का नेतृत्व करने का नहीं, वरन् उनकी सेवा करने का प्रयत्न करो। नेता बनने की इस क्रूर उन्मत्तता ने बड़े बड़े जहाजों को इस जीवनरूपी समुद्र में डुबो दिया है।

•    हमारे स्वभाव में संगठन का सर्वथा अभाव है, पर इसे हमें अपने स्वभाव में लाना है। इसका महान् रहस्य है ईर्ष्या का अभाव। अपने भाइयों के मत से सहमत होने को सदैव तैयार रहो और हमेशा समझौता करने का प्रयत्न करो। यही है संगठन का पूरा रहस्य।

•    मैं तुम सब से यही चाहता हूँ कि तुम आत्मप्रतिष्ठा, दलबंदी औऱ ईर्ष्या को सदा के लिए छोड़ दो। तुम्हें पृथ्वी-माता की तरह सहनशील होना चाहिए। यदि तुम ये गुण प्राप्त कर सको, तो संसार तुम्हारे पैरों पर लोटेगा।

•    स्त्रियों की स्थिति में सुधार हुए बिना संसार के कल्याण की कोई सम्भावना नहीं है। एक पक्षी का केवल एक ही पंख के सहारे उड़ सकना असम्भव है।

•    स्त्रियों में अवश्य ही यह क्षमता होनी चाहिए कि वे अपनी समस्याएँ अपने ढंग से हल कर सकें। उनका यह कार्य न कोई दूसरा कर सकता है, और न किसी दूसरे को करना ही चाहिए। हमारी भारतीय महिलाएँ संसार की किन्हीं भी अन्य महिलाओं की तरह यह कार्य करने के योग्य हैं।

•    मैं जानता हूँ कि वह जाति जिसने सीता को जन्म दिया – यह चाहे उनका स्वप्न ही क्यों न हो – स्त्रियों के लिए वह सम्मान रखती है, जो पृथ्वीतल पर अतुलनीय है।

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