भाषा एवं साहित्य >> पीढ़ी का दर्द पीढ़ी का दर्दसुबोध श्रीवास्तव
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संग्रह की रचनाओं भीतर तक इतनी गहराई से स्पर्श करती हैं और पाठक बरबस ही आगे पढ़ता चला जाता है।
तुम
तुम
उदास मरुस्थल में
जल की
मोती सी चमकती
एक बूँद जैसी,
जो-
सभी अभाव
दर्द
विस्मृत कर देती है।
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