भाषा एवं साहित्य >> पीढ़ी का दर्द पीढ़ी का दर्दसुबोध श्रीवास्तव
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संग्रह की रचनाओं भीतर तक इतनी गहराई से स्पर्श करती हैं और पाठक बरबस ही आगे पढ़ता चला जाता है।
दर्द
वो दर्द
जो, तुमने दिया है
मुझे,
बहुत अपनेपन से
मैंने-
सहेजकर रखा है
सीने में।
दर्द,
जो, कवच है
मेरी अस्मिता का
इस 'तहजीब पसंद' शहर में!
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