भाषा एवं साहित्य >> पीढ़ी का दर्द पीढ़ी का दर्दसुबोध श्रीवास्तव
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संग्रह की रचनाओं भीतर तक इतनी गहराई से स्पर्श करती हैं और पाठक बरबस ही आगे पढ़ता चला जाता है।
यथार्थ
पहाड़ से टकराने का
तुम्हारा फैसला
अच्छा है
शायद अटल नहीं
क्योंकि -
कमज़ोर नहीं होता
पहाड़,
न ही अकेला
उस तक पहुँचते-पहुँचते
कहीं तुम भी,
शामिल न हो जाओ
उसके-
प्रशंसकों की भीड़ में।,
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