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ई-पुस्तकें >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
98. मुँहबोला बेटा बोल रहा था
मुँहबोला बेटा बोल रहा था
ये तो बस है मेरी माँ
तुम्हारी माँ कैसे हुई ये
इसने मुझको आधार दिया।
इनकी वजह से ही मैं हूँ
ये ही तो मेरा सबकुछ है।
सुन कायल मैं हो जाती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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