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नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590
आईएसबीएन :9781613015827

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


53. अन्त में जाने को बोल मैं


अन्त में जाने की बोल मैं
अलविदा कह वहाँ से चल दी
तब तक वह वहाँ खड़ा
बस मुझे ही ताकता रहा

बातें उससे और भी करती
समय की पूर्ति कहाँ से करती

समय में बंधी बेचारी हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

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