ई-पुस्तकें >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
49. माँ का खाना तैयार किया
माँ का खाना तैयार किया
बाँधा ओर माँ को भेज दिया
जब घर मैं अकेली थी
मैनें सहेली को बुला लिया
और उससे बतियाने लगी
सबकुछ उसे समझाने लगी
मन में कुछ ना मैं रखती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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