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नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590
आईएसबीएन :9781613015827

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


35. घर अकेली होने पर मुझको


घर अकेली होने पर मुझको
एक साथी की जरूरत खलती
जीवन रूपी डोर बाँध मैं
उस साथी के सहारे चलती

साथी मिलेगा कहाँ मुझे
सोचती रहती हूँ मैं ये

करती उड़ने की तैयारी हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

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