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नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590
आईएसबीएन :9781613015827

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


31. अभी सोलहवीं दहलीज पर हूँ


अभी सोलहवीं दहलीज पर हूँ
मन में उमंग भरने लगी हूँ
आकाश में उड़ने लगी हूँ
बाहरी नजरों से बचने लगी हूँ।

छेड़े ना कोई मुझको
रिश्तों में मानती हूँ सबको

नजरें मैं झुका कर चलती हूँ,
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

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