ई-पुस्तकें >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
29. जब माँ को पता चला तो
जब माँ को पता चला तो
कहने लगी पिता को वो
मैं अपनी बेटी ना दूँगी
अब चाहे हो जाये जो
कितना बूढ़ा वह आदमी
मेरी हैं कोमल ये बेटी
माँ की कितनी आभारी हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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