ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
92. हमने कभी न सोचा था
कोई याद हमें आयेगा हमने कभी न सोचा था।
कोई दिल पर यों छायेगा हमने कभी न सोचा था।।
उसकी यादों में दिन गुज़रें
उसकी ही यादों में रातें।
जब भी हमको मौका मिलता
हम करते उसकी ही बातें।
कोई हमको यों भायेगा हमने कभी न सोचा था।
कोई याद हमें आयेगा हमने कभी न सोचा था।।
हम जब भी मिलते हैं उससे
फिर मिलने का मन होता है।
वो मन की धरती पर हरदम
ख़ुशियों के सपने बोता है।
कोई ऐसा मिल जायेगा हमने कभी न सोचा था।
कोई याद हमें आयेगा हमने कभी न सोचा था।।
उसको सबसे अच्छे लगते
ग़ज़ल हमारी गीत हमारे।
वो हमसे कहता है अक्सर-
तुम हो सच्चे मीत हमारे।
कोई हमको यों चाहेगा हमने कभी न सोचा था।
कोई याद हमें आयेगा हमने कभी न सोचा था।।
कोई दिल पर यों छायेगा हमने कभी न सोचा था।।
उसकी यादों में दिन गुज़रें
उसकी ही यादों में रातें।
जब भी हमको मौका मिलता
हम करते उसकी ही बातें।
कोई हमको यों भायेगा हमने कभी न सोचा था।
कोई याद हमें आयेगा हमने कभी न सोचा था।।
हम जब भी मिलते हैं उससे
फिर मिलने का मन होता है।
वो मन की धरती पर हरदम
ख़ुशियों के सपने बोता है।
कोई ऐसा मिल जायेगा हमने कभी न सोचा था।
कोई याद हमें आयेगा हमने कभी न सोचा था।।
उसको सबसे अच्छे लगते
ग़ज़ल हमारी गीत हमारे।
वो हमसे कहता है अक्सर-
तुम हो सच्चे मीत हमारे।
कोई हमको यों चाहेगा हमने कभी न सोचा था।
कोई याद हमें आयेगा हमने कभी न सोचा था।।
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