ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
87. तुम मुझे छोड़ कर मत जाना
मेरे गीत सिखाया तुमने मुझको मस्ती के सँग गाना।
तुम मुझे छोड़ कर मत जाना।।
दिल में था दर्द बसा पहले
आँखों में आँसू रहते थे।
जो मेरे भीतर की पीड़ा
बाहर वालों से कहते थे।
मेरे गीत सिखाया तुमने मुझको अब हँसना-मुस्काना।
तुम मुझे छोड़ कर मत जाना।।
जब कभी मुसीबत आती थी
मैं बहुत अकेला होता था।
अक्सर ही घबरा जाता था
मैं अपना धीरज खोता था।
मेरे गीत सिखाया तुमने मुझको तूफाँ से टकराना।
तुम मुझे छोड़ कर मत जाना।।
डगमग करती नैया मेरी
जाने कब कैसे सँभल गयी।
मुझको इतना भी याद नहीं
कब मेरी दुनिया बदल गयी।
मेरे गीत सिखाया तुमने मुझको जीवन को सरसाना।
तुम मुझे छोड़ कर मत जाना।।
तुम मुझे छोड़ कर मत जाना।।
दिल में था दर्द बसा पहले
आँखों में आँसू रहते थे।
जो मेरे भीतर की पीड़ा
बाहर वालों से कहते थे।
मेरे गीत सिखाया तुमने मुझको अब हँसना-मुस्काना।
तुम मुझे छोड़ कर मत जाना।।
जब कभी मुसीबत आती थी
मैं बहुत अकेला होता था।
अक्सर ही घबरा जाता था
मैं अपना धीरज खोता था।
मेरे गीत सिखाया तुमने मुझको तूफाँ से टकराना।
तुम मुझे छोड़ कर मत जाना।।
डगमग करती नैया मेरी
जाने कब कैसे सँभल गयी।
मुझको इतना भी याद नहीं
कब मेरी दुनिया बदल गयी।
मेरे गीत सिखाया तुमने मुझको जीवन को सरसाना।
तुम मुझे छोड़ कर मत जाना।।
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