ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
86. आज पत्र में लिखता हूँ मैं
आज पत्र में लिखता हूँ मैं बस तुमको दो बातें-
कैसे मेरे दिन कटते हैं कैसे मेरी रातें।।
सुबह आँख खुलते ही मुझको
याद तुम्हारी आये।
भूली-बिसरी कितनी यादें
वो अपने सँग लाये।
फिर पूरे दिन साथ रहे ये यादों की बारातें।
आज पत्र में लिखता हूँ मैं बस तुमको दो बातें।।
इन यादों में डूबी-डूबी
आये रात सुहानी।
रोज़ सुनाये मुझको कोई
ख़ुशियों भरी कहानी।
रात हमेशा देकर जाये सपनों की सौगातें।
आज पत्र में लिखता हूँ मैं बस तुमको दो बातें।।
इसी तरह से बीत रहे हैं
जीवन के दिन अपने।
काश, किसी दिन सच हो जायें
मेरे सारे सपने।
फिर जीवन में हर पल हों बस की खुशियों बरसातें।
आज पत्र में लिखता हूँ मैं बस तुमको दो बातें।।
कैसे मेरे दिन कटते हैं कैसे मेरी रातें।।
सुबह आँख खुलते ही मुझको
याद तुम्हारी आये।
भूली-बिसरी कितनी यादें
वो अपने सँग लाये।
फिर पूरे दिन साथ रहे ये यादों की बारातें।
आज पत्र में लिखता हूँ मैं बस तुमको दो बातें।।
इन यादों में डूबी-डूबी
आये रात सुहानी।
रोज़ सुनाये मुझको कोई
ख़ुशियों भरी कहानी।
रात हमेशा देकर जाये सपनों की सौगातें।
आज पत्र में लिखता हूँ मैं बस तुमको दो बातें।।
इसी तरह से बीत रहे हैं
जीवन के दिन अपने।
काश, किसी दिन सच हो जायें
मेरे सारे सपने।
फिर जीवन में हर पल हों बस की खुशियों बरसातें।
आज पत्र में लिखता हूँ मैं बस तुमको दो बातें।।
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