ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
56. ग़ज़लें तुझे बुलायेंगी
जब-जब तेरी यादें मेरे दिल का दर्द बढ़ायेंगी।
गीत पुकारेंगे तुझको ही ग़ज़लें तुझे बुलायेंगी।।
हम हों दूर भले ही लेकिन
दिल से दूर नहीं हैं।
अगर दिलों में रहें दूरियाँ
तो मंज़ूर नहीं हैं।
यही भावना रहे, दूरियाँ सब इक दिन मिट जायेंगी।
गीत पुकारेंगे तुझको ही ग़ज़लें तुझे बुलायेंगी।।
हम न बुरे हैं ना अपने दिल
के जज़्बात बुरे हैं।
मगर ज़माना बहुत बुरा है
अब हालात बुरे हैं।
फिर भी यह सोचो बुराइयाँ कितने दिन टिक पायेंगी।
गीत पुकारेंगे तुझको ही ग़ज़लें तुझे बुलायेंगी।।
लोग भले विश्वास तोड़ दें
हम विश्वास न तोड़ें।
एक-दूसरे को हम अपने
दिल से कभी न छोड़ें।
कल वाली घड़ियाँ कल आकर फिर साँकल खटकायेंगी।
गीत पुकारेंगे तुझको ही ग़ज़लें तुझे बुलायेंगी।।
गीत पुकारेंगे तुझको ही ग़ज़लें तुझे बुलायेंगी।।
हम हों दूर भले ही लेकिन
दिल से दूर नहीं हैं।
अगर दिलों में रहें दूरियाँ
तो मंज़ूर नहीं हैं।
यही भावना रहे, दूरियाँ सब इक दिन मिट जायेंगी।
गीत पुकारेंगे तुझको ही ग़ज़लें तुझे बुलायेंगी।।
हम न बुरे हैं ना अपने दिल
के जज़्बात बुरे हैं।
मगर ज़माना बहुत बुरा है
अब हालात बुरे हैं।
फिर भी यह सोचो बुराइयाँ कितने दिन टिक पायेंगी।
गीत पुकारेंगे तुझको ही ग़ज़लें तुझे बुलायेंगी।।
लोग भले विश्वास तोड़ दें
हम विश्वास न तोड़ें।
एक-दूसरे को हम अपने
दिल से कभी न छोड़ें।
कल वाली घड़ियाँ कल आकर फिर साँकल खटकायेंगी।
गीत पुकारेंगे तुझको ही ग़ज़लें तुझे बुलायेंगी।।
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