ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
55. कितने गहरे नाते हैं
हम दोनों के बीच दिलों के कितने गहरे नाते हैं।
जो अहसास तुम्हें सुख देते, हमको सुख पहुँचाते हैं।।
तुम कहते हो अपने दिल की
हम कहते हैं अपने दिल की।
लेकिन दिल की बातें कहना
होती बात बड़ी मुश्किल की।
फिर भी हम-तुम आसानी से हाले-दिल कह जाते हैं।
हम दोनों के बीच दिलों के कितने गहरे नाते हैं।।
हमने माना हर रिश्ते की
अपनी इक मर्यादा होती।
जहाँ समझते हम मर्यादा
वहाँ न कोई कोई बाधा होती।
इसीलिए तुम जिसे निभाते हम भी उसे निभाते हैं।
हम दोनों के बीच दिलों के कितने गहरे नाते हैं।।
यों तो जीवन की राहों में
कितने मिलते और बिछुड़ते।
मगर कभी क्या ऐसे रिश्ते
हर मिलने वाले से जुड़ते।
सच है सारे रिश्ते ऊपर से ही बनकर आते हैं।
हम दोनों के बीच दिलों के कितने गहरे नाते हैं।।
जो अहसास तुम्हें सुख देते, हमको सुख पहुँचाते हैं।।
तुम कहते हो अपने दिल की
हम कहते हैं अपने दिल की।
लेकिन दिल की बातें कहना
होती बात बड़ी मुश्किल की।
फिर भी हम-तुम आसानी से हाले-दिल कह जाते हैं।
हम दोनों के बीच दिलों के कितने गहरे नाते हैं।।
हमने माना हर रिश्ते की
अपनी इक मर्यादा होती।
जहाँ समझते हम मर्यादा
वहाँ न कोई कोई बाधा होती।
इसीलिए तुम जिसे निभाते हम भी उसे निभाते हैं।
हम दोनों के बीच दिलों के कितने गहरे नाते हैं।।
यों तो जीवन की राहों में
कितने मिलते और बिछुड़ते।
मगर कभी क्या ऐसे रिश्ते
हर मिलने वाले से जुड़ते।
सच है सारे रिश्ते ऊपर से ही बनकर आते हैं।
हम दोनों के बीच दिलों के कितने गहरे नाते हैं।।
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