ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
1. विनती करूँ लेखनी तुझसे
विनती करूँ लेखनी तुझसे ऐसा गीत बना दे।
जिसके द्वारा जन-जन को तू मेरा मीत बना दे।।
अक्षर-अक्षर की जननी तू
शब्द-शब्द हैं तेरे।
सारे वाक्य दिये हैं तूने
जो कहलाते मेरे।
करके कृपा सफलता मेरी आशातीत बना दे।
विनती करूँ लेखनी तुझसे ऐसा गीत बना दे।।
तुलसी-सूर-कबीरा सबको
तूने धन्य किया है।
मैंने भी अब तेरे द्वारे
रक्खा एक दिया है।
मेरे मन के भावों को भी परम पुनीत बना दे।
विनती करूँ लेखनी तुझसे ऐसा गीत बना दे।।
कभी न मेरा साहस टूटे
कभी न मैं घबराऊँ।
अपना बुरा चाहने वालों
का भी बुरा न चाहूँ।
अगर कभी मैं लगूँ हारने उसको जीत बना दे।
विनती करूँ लेखनी तुझसे ऐसा गीत बना दे।।
जिसके द्वारा जन-जन को तू मेरा मीत बना दे।।
अक्षर-अक्षर की जननी तू
शब्द-शब्द हैं तेरे।
सारे वाक्य दिये हैं तूने
जो कहलाते मेरे।
करके कृपा सफलता मेरी आशातीत बना दे।
विनती करूँ लेखनी तुझसे ऐसा गीत बना दे।।
तुलसी-सूर-कबीरा सबको
तूने धन्य किया है।
मैंने भी अब तेरे द्वारे
रक्खा एक दिया है।
मेरे मन के भावों को भी परम पुनीत बना दे।
विनती करूँ लेखनी तुझसे ऐसा गीत बना दे।।
कभी न मेरा साहस टूटे
कभी न मैं घबराऊँ।
अपना बुरा चाहने वालों
का भी बुरा न चाहूँ।
अगर कभी मैं लगूँ हारने उसको जीत बना दे।
विनती करूँ लेखनी तुझसे ऐसा गीत बना दे।।
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