ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
53. सपने ही मेरा जीवन है
कुछ अपने मन की कर लो कुछ मुझको भी करने देना तुम।
सपने ही मेरा जीवन है इनको मत मरने देना तुम।।
तुमसे कुछ नहीं छिपाता मैं
हरदम कहता हूँ सच्चाई।
इक-इक सपने को जोड़ा है
तब पूरी माला बन पाई।
अब इतना रखना ध्यान सदा इनको न बिखरने देना तुम।
सपने ही मेरा जीवन है इनको मत मरने देना तुम।।
तुमने कुछ मीठे गीत दिए
जो मेरे सपने गाते हैं।
तुमने कुछ ख़ुशियाँ दी इनको
ये हँसते हैं-मुस्काते हैं।
ऐसे ही ख़ुश रखना इनको आँखें मत भरने देना तुम।
सपने ही मेरा जीवन है इनको मत मरने देना तुम।।
वो जीवन भी क्या जीवन है
जिसका कोई आधार नहीं।
वे पलकें भी क्या पलकें हैं
जिन पर सपनों का भार नहीं।
मुझको यह भार लगे प्यारा इसको न उतरने देना तुम।
सपने ही मेरा जीवन है इनको मत मरने देना तुम।।
सपने ही मेरा जीवन है इनको मत मरने देना तुम।।
तुमसे कुछ नहीं छिपाता मैं
हरदम कहता हूँ सच्चाई।
इक-इक सपने को जोड़ा है
तब पूरी माला बन पाई।
अब इतना रखना ध्यान सदा इनको न बिखरने देना तुम।
सपने ही मेरा जीवन है इनको मत मरने देना तुम।।
तुमने कुछ मीठे गीत दिए
जो मेरे सपने गाते हैं।
तुमने कुछ ख़ुशियाँ दी इनको
ये हँसते हैं-मुस्काते हैं।
ऐसे ही ख़ुश रखना इनको आँखें मत भरने देना तुम।
सपने ही मेरा जीवन है इनको मत मरने देना तुम।।
वो जीवन भी क्या जीवन है
जिसका कोई आधार नहीं।
वे पलकें भी क्या पलकें हैं
जिन पर सपनों का भार नहीं।
मुझको यह भार लगे प्यारा इसको न उतरने देना तुम।
सपने ही मेरा जीवन है इनको मत मरने देना तुम।।
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