ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
47. पत्र पुराने पाये
आज साफ़ की अलमारी कुछ पत्र पुराने पाये।
उन्हें पढ़ा तो कितने मंज़र हमें नज़र फिर आये।।
पहले पत्र पढ़ा जो तुमने
पहली बार लिखा था।
तुम करते हो हमको कितना
ज़्यादा प्यार लिखा था।
आज प्यार के सागर में हम फिर डूबे-उतराये।
आज साफ़ की अलमारी कुछ पत्र पुराने पाये।।
फिर क्रमश: वे पत्र पढ़े जो
तुमने भेजे अक्सर।
जिनमें से कुछ के तो अब तक
हम न दे सके उत्तर।
अंतिम पत्र तुम्हारा पाया जब तुम हुए पराये।
आज साफ़ की अलमारी कुछ पत्र पुराने पाये।।
उसमें तुमने हमें लिखा था-
अब हम तुम्हें भुला दें।
और तुम्हारे पत्रों को हम
रक्खें नहीं, जला दें।
पर अपने ही दिल को कैसे कोई आग लगाये।
आज साफ़ की अलमारी कुछ पत्र पुराने पाये।।
उन्हें पढ़ा तो कितने मंज़र हमें नज़र फिर आये।।
पहले पत्र पढ़ा जो तुमने
पहली बार लिखा था।
तुम करते हो हमको कितना
ज़्यादा प्यार लिखा था।
आज प्यार के सागर में हम फिर डूबे-उतराये।
आज साफ़ की अलमारी कुछ पत्र पुराने पाये।।
फिर क्रमश: वे पत्र पढ़े जो
तुमने भेजे अक्सर।
जिनमें से कुछ के तो अब तक
हम न दे सके उत्तर।
अंतिम पत्र तुम्हारा पाया जब तुम हुए पराये।
आज साफ़ की अलमारी कुछ पत्र पुराने पाये।।
उसमें तुमने हमें लिखा था-
अब हम तुम्हें भुला दें।
और तुम्हारे पत्रों को हम
रक्खें नहीं, जला दें।
पर अपने ही दिल को कैसे कोई आग लगाये।
आज साफ़ की अलमारी कुछ पत्र पुराने पाये।।
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