ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
46. मेरा गीत उदास न होगा
जाओ पर कल यह न सोचना-कोई मेरे पास न होगा।
मेरी ग़ज़ल उदास न होगी मेरा गीत उदास न होगा।।
जैसे कल तुम मुझे मिले थे
कल फिर कोई मिल जायेगा।
मन का उपवन आज खिला है
तो फिर कल भी खिल जायेगा।
जैसे आज ख़ास तुम मेरे क्या कल कोई ख़ास न होगा।
मेरी ग़ज़ल उदास न होगी मेरा गीत उदास न होगा।।
वैसे जब तुम साथ नहीं थे
तब क्या मैं तनहा रहता था।
जीवन की धारा में तब भी
मैं कविता के सँग बहता था।
तुम तनहा हो सकते हो पर मुझको यह अहसास न होगा।
मेरी ग़ज़ल उदास न होगी मेरा गीत उदास न होगा।।
कोई कितना हो नज़दीकी
मगर छोड़कर जा सकता है।
जितना साथ निभाती कविता
उतना कौन निभा सकता है।
मैंने कविता जी है शायद तुमको यह आभास न होगा।
मेरी ग़ज़ल उदास न होगी मेरा गीत उदास न होगा।।
मेरी ग़ज़ल उदास न होगी मेरा गीत उदास न होगा।।
जैसे कल तुम मुझे मिले थे
कल फिर कोई मिल जायेगा।
मन का उपवन आज खिला है
तो फिर कल भी खिल जायेगा।
जैसे आज ख़ास तुम मेरे क्या कल कोई ख़ास न होगा।
मेरी ग़ज़ल उदास न होगी मेरा गीत उदास न होगा।।
वैसे जब तुम साथ नहीं थे
तब क्या मैं तनहा रहता था।
जीवन की धारा में तब भी
मैं कविता के सँग बहता था।
तुम तनहा हो सकते हो पर मुझको यह अहसास न होगा।
मेरी ग़ज़ल उदास न होगी मेरा गीत उदास न होगा।।
कोई कितना हो नज़दीकी
मगर छोड़कर जा सकता है।
जितना साथ निभाती कविता
उतना कौन निभा सकता है।
मैंने कविता जी है शायद तुमको यह आभास न होगा।
मेरी ग़ज़ल उदास न होगी मेरा गीत उदास न होगा।।
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