ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
39. मन ने याद किया है
आ भी जाओ- आ भी जाओ मन ने याद किया है।
इक मनभावन छवि को फिर दरपन ने याद किया है।।
याद तुम्हारी आई है अब
तुमको आना होगा।
मेरे जीवन के पल-पल को
फिर महकाना होगा।
इसीलिए ख़ुशबू को फिर चन्दन ने याद किया है।
आ भी जाओ- आ भी जाओ मन ने याद किया है।।
कब से आस लगाये बैठा
लेकर रीती गागर।
तुम चाहो तो गागर में ही
भर जायेगा सागर।
इसीलिए बरखा को फिर सावन ने याद किया है।
आ भी जाओ- आ भी जाओ मन ने याद किया है।।
बिना तुम्हारे हो सकता हूँ
मैं न कभी भी पूरा।
नाम तुम्हारा लिए बिना है
मेरा नाम अधूरा।
इसीलिए राधा को फिर मोहन ने याद किया है।
आ भी जाओ- आ भी जाओ मन ने याद किया है।।
इक मनभावन छवि को फिर दरपन ने याद किया है।।
याद तुम्हारी आई है अब
तुमको आना होगा।
मेरे जीवन के पल-पल को
फिर महकाना होगा।
इसीलिए ख़ुशबू को फिर चन्दन ने याद किया है।
आ भी जाओ- आ भी जाओ मन ने याद किया है।।
कब से आस लगाये बैठा
लेकर रीती गागर।
तुम चाहो तो गागर में ही
भर जायेगा सागर।
इसीलिए बरखा को फिर सावन ने याद किया है।
आ भी जाओ- आ भी जाओ मन ने याद किया है।।
बिना तुम्हारे हो सकता हूँ
मैं न कभी भी पूरा।
नाम तुम्हारा लिए बिना है
मेरा नाम अधूरा।
इसीलिए राधा को फिर मोहन ने याद किया है।
आ भी जाओ- आ भी जाओ मन ने याद किया है।।
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