ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
36. बादल छाये हैं
नीले नभ पर काले-काले बादल छाये हैं।
मेघदूत किसका सन्देशा लेकर आये हैं।।
लगता- मुझको याद करे वो
मन से मुझे पुकारे।
वो खिड़की पर बैठी-बैठी
अपने बाल सँवारे।
ये उसके ही गेसू हैं जो घिरी घटायें हैं।
नीले नभ पर काले-काले बादल छाये हैं।।
या वो सारी रात बैठकर
कहीं अकेले रोई।
और आँसुओं से ही उसने
अपनी देह भिगोई।
जल के साथ बहा है काजल, घन कजराये हैं।
नीले नभ पर काले-काले बादल छाये हैं।।
नभ के बादल से यादों का
बादल बहुत घना है।
मन में ऐसे उमड़ा-घुमड़ा
मेरा गीत बना है।
एक गीत ने कितने-कितने भाव जगाये हैं।
नीले नभ पर काले-काले बादल छाये हैं।।
मेघदूत किसका सन्देशा लेकर आये हैं।।
लगता- मुझको याद करे वो
मन से मुझे पुकारे।
वो खिड़की पर बैठी-बैठी
अपने बाल सँवारे।
ये उसके ही गेसू हैं जो घिरी घटायें हैं।
नीले नभ पर काले-काले बादल छाये हैं।।
या वो सारी रात बैठकर
कहीं अकेले रोई।
और आँसुओं से ही उसने
अपनी देह भिगोई।
जल के साथ बहा है काजल, घन कजराये हैं।
नीले नभ पर काले-काले बादल छाये हैं।।
नभ के बादल से यादों का
बादल बहुत घना है।
मन में ऐसे उमड़ा-घुमड़ा
मेरा गीत बना है।
एक गीत ने कितने-कितने भाव जगाये हैं।
नीले नभ पर काले-काले बादल छाये हैं।।
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