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ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको

मेरे गीत समर्पित उसको

कमलेश द्विवेदी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :295
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9589
आईएसबीएन :9781613015940

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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे

35. मन करता है साथ तुम्हारे

 

मन करता है साथ तुम्हारे बैठें-बात करें।
पर न समझ में आये कैसे हम शुरुआत करें?

कभी सोचते- अपनी बातें
क्या तुमको भायेंगी?
कभी सोचते- क्या ये तुमको
पीड़ा पहुँचायेंगी?
दुविधा की ये स्थितियाँ मन पर आघात करें।
मन करता है साथ तुम्हारे बैठें-बात करें।।

एक राह पर चले ज़िन्दगी
तो यह भार न होगी।
दो नावों पर पाँव धरेंगे
नदिया पार न होगी।
जब दिमाग़ इतना सोचे तो क्या ज़ज़्बात करें?
मन करता है साथ तुम्हारे बैठें-बात करें।।

कब कहते हम इतने अच्छे
हमें देवता मानो।
मगर आदमी कैसे हैं हम
इतना तो पहचानो।
पहचानो तो साथ तुम्हारा हम दिन-रात करें।
मन करता है साथ तुम्हारे बैठें-बात करें।।

 

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