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मेरे गीत समर्पित उसको
मेरे गीत समर्पित उसको
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :295
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9589
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आईएसबीएन :9781613015940 |
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7 पाठकों को प्रिय
386 पाठक हैं
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
32. हुए तुम क्यों इतने मजबूर
कभी रहे तुम पास हमारे अब हो कितनी दूर।
हुए तुम क्यों इतने मजबूर?
हँसते-रोते, जगते-सोते
तुमको याद किया है।
तुमको याद किया है हमने
क्या अपराध किया है।
अगर यही अपराध सज़ा तुम हमको दो भरपूर।
हुए तुम क्यों इतने मजबूर?
हरदम साथ रहेंगे हम-तुम
ऐसे ख़्वाब दिखाये।
मगर अचानक डोर तोड़ दी
पतँग कहाँ अब जाये?
एक वार से किये हमारे सपने चकनाचूर।
हुए तुम क्यों इतने मजबूर?
भौंरा तो कलियों के सँग ही
गीत प्रीति के गाता।
शायद तुमने जोड़ लिया है
नई कली से नाता।
और बन गये हो उसके ही तुम सुहाग-सिंदूर।
हुए तुम क्यों इतने मजबूर?
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पुस्तक का नाम
मेरे गीत समर्पित उसको
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