ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
19. किससे दर्द कहें
मन करता है हम कुछ बोलें ऐसे चुप न रहें।
किससे दिल की बात बतायें किससे दर्द कहें।।
सब अपने-अपने में उलझे
सब अपने में खोये।
जिसके आगे रोना चाहो
वो पहले ही रोये।
बाहर-बाहर हँसना-गाना भीतर अश्क बहें।
किससे दिल की बात बतायें किससे दर्द कहें।।
कोई नहीं हमारा अपना
फिर क्यों फ़िक्र करें हम।
किसके लिये जियें दुनिया में
किसके लिये मरें हम।
आग लगाई और किसी ने हम क्यों व्यर्थ दहें।
किससे दिल की बात बतायें किससे दर्द कहें।।
जीवन भर तक प्रीति-रीति कब
किसने यहाँ निभाई।
साथ मिला बस पल दो पल का
वर्षो मिली जुदाई।
ऐसे में फिर कभी किसी की कैसे बाँह गहें।
किससे दिल की बात बतायें किससे दर्द कहें।।
मोह हमेशा ही दुख देता
फिर भी फँसे हुए हम।
कितनी हैं मजबूत रस्सियाँ
जिनमें कसे हुए हम।
आओ काटें इस बंधन को और न कष्ट सहें।
किससे दिल की बात बतायें किससे दर्द कहें।।
किससे दिल की बात बतायें किससे दर्द कहें।।
सब अपने-अपने में उलझे
सब अपने में खोये।
जिसके आगे रोना चाहो
वो पहले ही रोये।
बाहर-बाहर हँसना-गाना भीतर अश्क बहें।
किससे दिल की बात बतायें किससे दर्द कहें।।
कोई नहीं हमारा अपना
फिर क्यों फ़िक्र करें हम।
किसके लिये जियें दुनिया में
किसके लिये मरें हम।
आग लगाई और किसी ने हम क्यों व्यर्थ दहें।
किससे दिल की बात बतायें किससे दर्द कहें।।
जीवन भर तक प्रीति-रीति कब
किसने यहाँ निभाई।
साथ मिला बस पल दो पल का
वर्षो मिली जुदाई।
ऐसे में फिर कभी किसी की कैसे बाँह गहें।
किससे दिल की बात बतायें किससे दर्द कहें।।
मोह हमेशा ही दुख देता
फिर भी फँसे हुए हम।
कितनी हैं मजबूत रस्सियाँ
जिनमें कसे हुए हम।
आओ काटें इस बंधन को और न कष्ट सहें।
किससे दिल की बात बतायें किससे दर्द कहें।।
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