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ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको

मेरे गीत समर्पित उसको

कमलेश द्विवेदी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :295
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9589
आईएसबीएन :9781613015940

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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे

16. पूरी कहो कहानी

 

कुछ कहता है चित्र तुम्हारा कुछ तुम कहो ज़ुबानी।
कुछ न छिपाकर रक्खो दिल में पूरी कहो कहानी।।

ग़म को अगर छिपाओगे तो
वो तुमको ग़म देगा।
जब तक नहीं कहोगे भीतर
ही भीतर सालेगा।
इसीलिए कह दो तुम हमसे करो न आनाकानी।
कुछ न छिपाकर रक्खो दिल में पूरी कहो कहानी।।

ख़ुशी छिपाओगे तो पूरी
ख़ुशी न मिल पायेगी।
साथ हमारे बाँटोगे तो
दूनी हो जाएगी।
हमीं न कहते बड़े-बड़ों ने की है यही बयानी।
कुछ न छिपाकर रक्खो दिल में पूरी कहो कहानी।।

ख़ुशी मिले तो बनें न पागल
ग़म धीरज से काटें।
अपनों के सँग अपने सुख-दुख
पूरे मन से बाँटें।
जीवन को जीने में होगी तभी हमें आसानी।
कुछ न छिपाकर रक्खो दिल में पूरी कहो कहानी।।

 

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