ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
16. पूरी कहो कहानी
कुछ कहता है चित्र तुम्हारा कुछ तुम कहो ज़ुबानी।
कुछ न छिपाकर रक्खो दिल में पूरी कहो कहानी।।
ग़म को अगर छिपाओगे तो
वो तुमको ग़म देगा।
जब तक नहीं कहोगे भीतर
ही भीतर सालेगा।
इसीलिए कह दो तुम हमसे करो न आनाकानी।
कुछ न छिपाकर रक्खो दिल में पूरी कहो कहानी।।
ख़ुशी छिपाओगे तो पूरी
ख़ुशी न मिल पायेगी।
साथ हमारे बाँटोगे तो
दूनी हो जाएगी।
हमीं न कहते बड़े-बड़ों ने की है यही बयानी।
कुछ न छिपाकर रक्खो दिल में पूरी कहो कहानी।।
ख़ुशी मिले तो बनें न पागल
ग़म धीरज से काटें।
अपनों के सँग अपने सुख-दुख
पूरे मन से बाँटें।
जीवन को जीने में होगी तभी हमें आसानी।
कुछ न छिपाकर रक्खो दिल में पूरी कहो कहानी।।
कुछ न छिपाकर रक्खो दिल में पूरी कहो कहानी।।
ग़म को अगर छिपाओगे तो
वो तुमको ग़म देगा।
जब तक नहीं कहोगे भीतर
ही भीतर सालेगा।
इसीलिए कह दो तुम हमसे करो न आनाकानी।
कुछ न छिपाकर रक्खो दिल में पूरी कहो कहानी।।
ख़ुशी छिपाओगे तो पूरी
ख़ुशी न मिल पायेगी।
साथ हमारे बाँटोगे तो
दूनी हो जाएगी।
हमीं न कहते बड़े-बड़ों ने की है यही बयानी।
कुछ न छिपाकर रक्खो दिल में पूरी कहो कहानी।।
ख़ुशी मिले तो बनें न पागल
ग़म धीरज से काटें।
अपनों के सँग अपने सुख-दुख
पूरे मन से बाँटें।
जीवन को जीने में होगी तभी हमें आसानी।
कुछ न छिपाकर रक्खो दिल में पूरी कहो कहानी।।
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