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ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको

मेरे गीत समर्पित उसको

कमलेश द्विवेदी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :295
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9589
आईएसबीएन :9781613015940

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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे

14. महके चमन हमारा

 

साँसों में कस्तूरी महके मन हो हिरन हमारा।
तुम बहार बनकर आ जाओ महके चमन हमारा।।

हर दूरी से हो जाये अब
पूरी-पूरी दूरी।
रहे न कोई आस अधूरी
पूरी कर लें पूरी।
होकर सघन प्रेमघन बरसे मन हो मगन हमारा।
तुम बहार बनकर आ जाओ महके चमन हमारा।।

रहें हमेशा ही हम दोनों
इक-दूजे के होके।
कहीं रहें पर कभी न कोई
हमको रोके-टोके।
सारी-सारी धरती अपनी सारा गगन हमारा।
तुम बहार बनकर आ जाओ महके चमन हमारा।।

चढ़ते-चढ़ते प्रेम, भक्ति की
चोटी तक चढ़ जाये।
इक-दूजे में हमें नज़र बस
अपना ईश्वर आये।
मिलकर गायें गीत मिलन के जैसे भजन हमारा।
तुम बहार बनकर आ जाओ महके चमन हमारा।।

 

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