ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
13. इतना तो विश्वास करो
भले न मेरी ख़ातिर कोई काम आम या ख़ास करो।
मैं तुमसे कुछ झूठ न कहता इतना तो विश्वास करो।।
माना कभी अकारण तुमसे
कोई बात छिपा ली होगी।
पर जब तुमने पूछा होगा
सच्ची बात बता दी होगी।
जानबूझ कर कुछ न छिपाता इसका तो अहसास करो।
मैं तुमसे कुछ झूठ न कहता इतना तो विश्वास करो।।
जब अपने हो तुम न करोगे
गैर कहाँ विश्वास करेगा।
हर कोई मेरी सच्चाई
का केवल उपहास करेगा।
कोई और भले ही कर ले तुम न कभी उपहास करो।
मैं तुमसे कुछ झूठ न कहता इतना तो विश्वास करो।।
एक तुम्हीं हो जिसके आगे
मैंने दिल की पुस्तक खोली।
जो न किसी से कही कभी भी
वो हर बात तुम्हीं से बोली।
अब सब कुछ तुम पर है चाहे फेल करो या पास करो।
मैं तुमसे कुछ झूठ न कहता इतना तो विश्वास करो।।
मैं तुमसे कुछ झूठ न कहता इतना तो विश्वास करो।।
माना कभी अकारण तुमसे
कोई बात छिपा ली होगी।
पर जब तुमने पूछा होगा
सच्ची बात बता दी होगी।
जानबूझ कर कुछ न छिपाता इसका तो अहसास करो।
मैं तुमसे कुछ झूठ न कहता इतना तो विश्वास करो।।
जब अपने हो तुम न करोगे
गैर कहाँ विश्वास करेगा।
हर कोई मेरी सच्चाई
का केवल उपहास करेगा।
कोई और भले ही कर ले तुम न कभी उपहास करो।
मैं तुमसे कुछ झूठ न कहता इतना तो विश्वास करो।।
एक तुम्हीं हो जिसके आगे
मैंने दिल की पुस्तक खोली।
जो न किसी से कही कभी भी
वो हर बात तुम्हीं से बोली।
अब सब कुछ तुम पर है चाहे फेल करो या पास करो।
मैं तुमसे कुछ झूठ न कहता इतना तो विश्वास करो।।
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