ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
|
7 पाठकों को प्रिय 386 पाठक हैं |
कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
11. नेह-नदी
मैं हूँ एक किनारा तू भी एक किनारा है।
हमको जोड़े नेह-नदी की पावन धारा है।।
हम दिन-दिन भर रात-रात भर
साथ-साथ रहते।
नेह-नदी की धारा के सँग
साथ-साथ बहते।
फिर भी अचल दिखाई देता रूप हमारा है।
हमको जोड़े नेह-नदी की पावन धारा है।।
वैसे तो पुल से भी अपने
हैं रिश्ते-नाते।
मगर नेह के नाते उससे
कितने जुड़ पाते।
ऐसे में इक बड़ा सहारा नेह तुम्हारा है।
हमको जोड़े नेह-नदी की पावन धारा है।।
इक-दूजे का साथ हमेशा
हमें निभाना है।
नेह-नदी को नेह-सिंधु तक
लेकर जाना है।
इसके लिये समर्पित अपना जीवन सारा है।
हमको जोड़े नेह-नदी की पावन धारा है।।
हमको जोड़े नेह-नदी की पावन धारा है।।
हम दिन-दिन भर रात-रात भर
साथ-साथ रहते।
नेह-नदी की धारा के सँग
साथ-साथ बहते।
फिर भी अचल दिखाई देता रूप हमारा है।
हमको जोड़े नेह-नदी की पावन धारा है।।
वैसे तो पुल से भी अपने
हैं रिश्ते-नाते।
मगर नेह के नाते उससे
कितने जुड़ पाते।
ऐसे में इक बड़ा सहारा नेह तुम्हारा है।
हमको जोड़े नेह-नदी की पावन धारा है।।
इक-दूजे का साथ हमेशा
हमें निभाना है।
नेह-नदी को नेह-सिंधु तक
लेकर जाना है।
इसके लिये समर्पित अपना जीवन सारा है।
हमको जोड़े नेह-नदी की पावन धारा है।।
¤ ¤
|
लोगों की राय
No reviews for this book