ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
134. वैसे ही दिन फिर आयेंगे
फिर वैसे दिन कब आयेंगे- फिर वैसे दिन कब आयेंगे।
जब हम फ़ुरसत से बैठेंगे घंटों-घंटों बतियायेंगे।।
जब बातों में दिन गुज़रेंगे
और रात भी ढल जायेगी।
जब हम दोनों की बातें सुन
बगिया में कोयल गायेगी।
जब हम ऐसे गीत रचेंगे जो सबके मन को भायेंगे।
फिर वैसे दिन कब आयेंगे- फिर वैसे दिन कब आयेंगे।।
जब भी तुम कुछ नया रचोगे
पहले हमको दिखलाओगे।
और हमारी तारीफ़ों से
सबसे अधिक ख़ुशी पाओगे।
जब ख़ुशियाँ ग़ज़लों में लिखकर तुम गाओगे हम गायेंगे।
फिर वैसे दिन कब आयेंगे- फिर वैसे दिन कब आयेंगे।।
उम्मीदों की ख़ुशबू हो तो
फूल किसी दिन खिल सकता है।
सच्चे दिल से माँगो कुछ भी
तो फिर सब कुछ मिल सकता है।
हम भी अपनी चाहत के पल आज नहीं तो कल पायेंगे।
दिल कहता है- वैसे ही दिन फिर आयेंगे- फिर आयेंगे।।
जब हम फ़ुरसत से बैठेंगे घंटों-घंटों बतियायेंगे।।
जब बातों में दिन गुज़रेंगे
और रात भी ढल जायेगी।
जब हम दोनों की बातें सुन
बगिया में कोयल गायेगी।
जब हम ऐसे गीत रचेंगे जो सबके मन को भायेंगे।
फिर वैसे दिन कब आयेंगे- फिर वैसे दिन कब आयेंगे।।
जब भी तुम कुछ नया रचोगे
पहले हमको दिखलाओगे।
और हमारी तारीफ़ों से
सबसे अधिक ख़ुशी पाओगे।
जब ख़ुशियाँ ग़ज़लों में लिखकर तुम गाओगे हम गायेंगे।
फिर वैसे दिन कब आयेंगे- फिर वैसे दिन कब आयेंगे।।
उम्मीदों की ख़ुशबू हो तो
फूल किसी दिन खिल सकता है।
सच्चे दिल से माँगो कुछ भी
तो फिर सब कुछ मिल सकता है।
हम भी अपनी चाहत के पल आज नहीं तो कल पायेंगे।
दिल कहता है- वैसे ही दिन फिर आयेंगे- फिर आयेंगे।।
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