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मेरे गीत समर्पित उसको
मेरे गीत समर्पित उसको
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :295
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9589
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आईएसबीएन :9781613015940 |
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7 पाठकों को प्रिय
386 पाठक हैं
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
133. मन चमन हो गया
फूल मन का खिला मन चमन हो गया।
मैं धरा पर रहा मन गगन हो गया।।
ख़ुशबुओं से हुई
तर-ब-तर ज़िन्दगी।
बाअसर हो गई
बेअसर ज़िन्दगी।
गंध का यों घना आयतन हो गया।
मैं धरा पर रहा मन गगन हो गया।।
साँस हर इक हुई
संदली-संदली।
प्यार की मिल गई
आज गंगाजली।
नेह के नीर से आचमन हो गया।
मैं धरा पर रहा मन गगन हो गया।।
था पराया वही
आज अपना हुआ
आज साकार फिर
एक सपना हुआ।
उड़ रहा मन कि जैसे पवन हो गया।
मैं धरा पर रहा मन गगन हो गया।।
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पुस्तक का नाम
मेरे गीत समर्पित उसको
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