ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
101. कल तक मुझसे दूर बहुत था
कल तक मुझसे दूर बहुत था अब वो कितने पास हो गया।
आज उसे जब छूकर देखा तो मुझको विश्वास हो गया।।
आया नहीं कभी चर्चा में
आया नहीं सवालों में भी।
आया नहीं कभी जो अब तक
मेरे ख्वाबों-ख़्यालों में भी।
बिलकुल आम रहा जो अबतक वो अब कितना ख़ास हो गया।
आज उसे जब छूकर देखा तो मुझको विश्वास हो गया।।
उसको देखे बिना आजकल
मुझसे नहीं रहा जाता है।
लेकिन दिल का हाल अभी भी
उससे नहीं कहा जाता है।
सच पूछो तो अब वो मेरे जीवन की हर आस हो गया।
आज उसे जब छूकर देखा तो मुझको विश्वास हो गया।।
उससे मिलना लगता मुझको
मेरे कुछ पुण्यों का फल है।
जब भी उसको देखूँ लगता-
वो पावन गंगा का जल है।
इसीलिए लगता है अब वो मेरी पावन प्यास हो गया।
आज उसे जब छूकर देखा तो मुझको विश्वास हो गया।।
आज उसे जब छूकर देखा तो मुझको विश्वास हो गया।।
आया नहीं कभी चर्चा में
आया नहीं सवालों में भी।
आया नहीं कभी जो अब तक
मेरे ख्वाबों-ख़्यालों में भी।
बिलकुल आम रहा जो अबतक वो अब कितना ख़ास हो गया।
आज उसे जब छूकर देखा तो मुझको विश्वास हो गया।।
उसको देखे बिना आजकल
मुझसे नहीं रहा जाता है।
लेकिन दिल का हाल अभी भी
उससे नहीं कहा जाता है।
सच पूछो तो अब वो मेरे जीवन की हर आस हो गया।
आज उसे जब छूकर देखा तो मुझको विश्वास हो गया।।
उससे मिलना लगता मुझको
मेरे कुछ पुण्यों का फल है।
जब भी उसको देखूँ लगता-
वो पावन गंगा का जल है।
इसीलिए लगता है अब वो मेरी पावन प्यास हो गया।
आज उसे जब छूकर देखा तो मुझको विश्वास हो गया।।
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