ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
95. गीत अधूरा रह जायेगा
अभी छोड़कर साथ न जाओ गीत अधूरा रह जायेगा।
अभी पड़ी है रात न जाओ गीत अधूरा रह जायेगा।।
कुछ सपने ही दिखे अभी तक
कितने अभी और दिखने है।
अभी गीत का प्रथम चरण है
कितने अभी और लिखने हैं।
अभी हुई शुरुआत न जाओ गीत अधूरा रह जायेगा।
अभी छोड़कर साथ न जाओ गीत अधूरा रह जायेगा।।
आज मिला जो अवसर मुझको
पता नहीं कब मिले दुबारा।
आज खिला जो फूल हृदय में
पता नहीं कब खिले दुबारा।
देकर यों आघात न जाओ गीत अधूरा रह जायेगा।
अभी छोड़कर साथ न जाओ गीत अधूरा रह जायेगा।।
आधे रस्ते में मत छेड़ो
तुमको यह अधिकार नहीं है।
कहना है तो सीधे कह दो-
तुमको मुझसे प्यार नहीं है।
मानो मेरी बात न जाओ गीत अधूरा रह जायेगा।
अभी छोड़कर साथ न जाओ गीत अधूरा रह जायेगा।।
अभी पड़ी है रात न जाओ गीत अधूरा रह जायेगा।।
कुछ सपने ही दिखे अभी तक
कितने अभी और दिखने है।
अभी गीत का प्रथम चरण है
कितने अभी और लिखने हैं।
अभी हुई शुरुआत न जाओ गीत अधूरा रह जायेगा।
अभी छोड़कर साथ न जाओ गीत अधूरा रह जायेगा।।
आज मिला जो अवसर मुझको
पता नहीं कब मिले दुबारा।
आज खिला जो फूल हृदय में
पता नहीं कब खिले दुबारा।
देकर यों आघात न जाओ गीत अधूरा रह जायेगा।
अभी छोड़कर साथ न जाओ गीत अधूरा रह जायेगा।।
आधे रस्ते में मत छेड़ो
तुमको यह अधिकार नहीं है।
कहना है तो सीधे कह दो-
तुमको मुझसे प्यार नहीं है।
मानो मेरी बात न जाओ गीत अधूरा रह जायेगा।
अभी छोड़कर साथ न जाओ गीत अधूरा रह जायेगा।।
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