लोगों की राय
ई-पुस्तकें >>
खामोश नियति
खामोश नियति
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :41
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
|
पुस्तक क्रमांक : 9583
|
आईएसबीएन :9781613015957 |
|
7 पाठकों को प्रिय
273 पाठक हैं
|
कविता संग्रह
मंज़िल
मंजिल है, हदें सरहदें भी हैं,
और कुछ है तो वह है,
उसकी दहलीज पर सजदे करना,
और बिना रुके चलते जाना।
रास्ते बड़े अदब से तशरीफ़ रखते हैं यहाँ,
चलते चलते यहाँ
आखिरी मंजिल तक पहुँचते हैं,
हदें सरहदें पार कर,
जहाँ को नए मोड़ पर लाकर खड़ा कर देते हैं।
¤ ¤
...Prev | Next...
पुस्तक का नाम
खामोश नियति
मैं उपरोक्त पुस्तक खरीदना चाहता हूँ। भुगतान के लिए मुझे बैंक विवरण भेजें। मेरा डाक का पूर्ण पता निम्न है -
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai