ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
''लेकिन तुम्हें क्या पता, मुझे कैसा जीवन-साथी चाहिए?''
''दिल की बात कह दो, वैसा ही जोड़ा ढूंढ़ लेंगे।''
''मैं तो सौंदर्य से अधिक आचरण चाहूंगा। एक ऐसी लड़की जो अपने पति के बिना इस धरती पर और कुछ सोच न सके। उसमें तुम जैसा आदर्श हो, जो अपने लिए नहीं दूसरों के लिए जीना जानती हो।''
''तुम्हें क्या मालूम कि वह तुम्हारी इस विचारधारा से भी अधिक आदर्श नारी हो? एक नजर देख तो लो उसे।''
''एक नजर में किसी के दिल की दशा कैसे जानी जा सकती है?''
''वाह! परखने वाले किसी की एक ही झलक से उसके दिल की गहराइयों को भांप लेते हैं। दर्पण देखते ही पता चल जाता है मैल कहां जमी हुई है।''
''तो एक काम करो, पूनम!''
''कहो।''
'उसे परखने के लिए तुम मेरे साथ चलना।''
''मैं...मैं...?'' वह घबरा गई-''मैं वहां क्या करूंगी?''
''अपनी परखने वाली नजरों से उस लड़की को जांचने। अगर तुम्हें वह पसंद आ गई तो मैं इंकार नहीं करूंगा।''
''मेरी पसंद गलत भी तो हो सकती है।''
''नहीं पूनम! तुम जैसी आदर्श नारी मेरे लिए कभी गलत लड़की नहीं चुन सकती। और तुम उससे बातचीत में वह सब कुछ पूछ लोगी जो मैं न पूछ सकूंगा उससे।''
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