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कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582
आईएसबीएन :9781613015551

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


''शायद आपके डैडी का खत आया है।'' यह कहकर वह सड़क के किनारे की ओर बढ़ी।

''मैं जानता हूं।'' वह भी साथ हो लिया।

''कहते थे, कोई जरूरी काम लिखा है।''

''उस काम की भनक हमारे खतों में भी है।''

''क्या है?''

''शादी की चर्चा। उन्होंने एक लड़की देख रखी है। संयोग से आजकल वह नैनीताल में ही आई हुई है अपनी मम्मी के साथ।''

''तब?''

''डैडी ने लिखा है, उसे जाकर देख लूं।''

''ख्याल तो बुरा नहीं।''

''वह क्यों?''

''मंजिल खुद चलकर मुसाफिर तक आ पहुंची है।''

''लेकिन मुझे उस मंजिल की तलाश नहीं है।''

''क्यों?''

''सच बात तो यह है कि मुझे शादी-ब्याह से नफरत हो चुकी है।''

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