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कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582
आईएसबीएन :9781613015551

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


''हलो!'' अंजना ने मुर्झाई हुई बल्कि मुर्दा आवाज में कहा। राकेश ने उसके पीले पड़ गए चेहरे की ओर देखा और इतनी सावधानी से झुककर तस्वीर उठा ली कि कमल की उसपर नजर न पड़ सकी।

''दवा लेने आई थी।''

''अंकिल के लिए?''

''नहीं, राजीव के लिए।''

''क्यों, कुशल तो है?''

''मामूली खांसी की शिकायत है।''

''ओह! ऐसी बात थी तो किसी नौकर से मंगवा ली होती।''

''योंही चली आई। सोचा जरा हवाखोरी हो जाएगी।''

राकेश ने अपने नौकर के हाथ से सौ का नोट वापस ले लिया जिसका छुट्टा नहीं मिला था।

उसने वह नोट अंजना को लौटाते हुए कहा-''कोई बात नहीं, फिर कभी दे जाइएगा।''

''कितने का बिल है?'' कमल ने पूछा।

''चार रुपये पचास पैसे।''

कमल ने दस का नोट रख दिया और काउंटर पर रखा हुआ ब्लेड का पैकेट उठाकर दोनों का बिल चुका दिया।

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