ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
''ओह! आप अंजना की बात कर रही हैं! मैं तो सोच रहा था कि आप मेरी उस दिन की बात से शायद बुरा मान गई होंगी। यकीन कीजिए, उसकी सूरत हूबहू आप से मिलती है।''
''आप तो कह रह थे कि आपके पास उसकी तस्वीर भी है।''
''जी।'' राकेश ने कहा और तुरत अपनी मेज की एक दराज खोलकर उस तस्वीर को बाहर निकाल लिया जो कालेज ग्रुप की थी।
और शायद उस दिन अंजना के जाने के फौरन बाद उसने तलाश करके दराज में रख ली थी।
अंजना ने ज्योंही अपनी कांपती हुई उंगलियों से तस्वीर पकड़ी, राकेश बोल उठा-''आप खुद ही देख लीजिए, कितनी सूरत मिलती है उसकी आपसे। यह दूसरी लाइन में तीसरे नंबर पर।''
''क्या नाम था उसका?'' अंजना ने अनजान बनकर अपनी तस्वीर को अचरज भरी दृष्टि से देखते हुए पूछा।
'अंजना-लेकिन कालेज में उसे अंजू के नाम से पुकारते थे।''
''विचित्र संयोग है। सचमुच ही यह मेरी दूसरी सूरत है।''
इतने में किसी आहट ने उसे चौंका दिया। उसने पलटकर देखा तो उसे सामने से कमल आता दिखाई दिया।
कमल ने काउंटर को ओर बढ़ते ही राकेश से ब्लेड का एक पैकेट मांगा और फिर अंजना की ओर देखकर 'हलो' कहा।
कमल को इस तरह सामने पाते ही अंजना जैसे पत्थर का बुत बन गईं और उसके हाथ में से वह तस्वीर फिसलकर फर्श पर जा गिरी।
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