ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
कुछ देर की इस अजीब-सी खामोशी के बाद लाला जगन्नाथ ने कहा-''जभी से वह ब्याह-शादी के नाम पर झुंझला जाता है जैसे उसे नारी-जाति से घृणा हो गई हो।''
लाला जगन्नाथ ने एक आह भरी और कमल के दिल के दर्द को प्रतिबिंबित किया।
अंजना के सपनों को सहसा अंधेरे ने डस लिया। उसके दिल की थरथराहट में अब भय भी लहराने लगा। वह वहां से चुपचाप अपने कमरे में चली आई। वह कमल जिसके बारे में सोचकर उसके हृदय में गुदगुदाहट होती थी अब उसके नाम से ही उसे भय होने लगा।
कुछ देर बाद, अकारण ही, राम जाने क्यों वह अपने कमरे की खिड़की के पास जाकर गुमसुम खड़ी हो गई। वह अपने सामने फैली हुई उस झील को एकटक निहार रही थी जो आज एक बर्फीले टीले जैसी लग रही थी। उसे ऐसा लगा जैसे वादी की सर्द हवा ने पानी की लहरों को बर्फ के फर्श में बदल दिया है और वह उन्मादी-सी नंगे पांव उसपर दौड़ती जा रही है-एक ऐसी मंजिल की तलाश में जो अचानक किसी भूचाल के कारण उस बर्फीले ढोकों के नीचे धंसकर गुम हो गई है और धीरे-धीरे वह बर्फानी आग उसके तलवे चाटकर उसे भी निगल जाने वाली है।
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