ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
''वह भी सच्चा है बहू। उसके साथ ऐसी घटना घट चुकी है कि ऐसे बंधनों से उसका विश्वास उठ गया है। एक तुम्हीं, हो जिससे हंसके वह बात कर लेता है, वरना किसी औरत के सामने जाने से भी घबराता है।''
''क्यों?''
''बेचारे का दिल टूट गया उस दिन, जब उसकी बारात दूल्हन के घर से खाली वापस लौट आई।''
''क्यों?'' अंजना ने चौंकते हुए पूछा।
''दुल्हन शादी के दिन घर से भाग गई थी। उस अभागिन ने बेचारे की इज्जत और दिल दोनों को छलनी कर दिया।''
''कब की बात है?''
''चार महीने पहले की।''
''बारात कहां गई थी?''
''गंगापुर।''
''गंगापुर!'' वह सिटपिटा गई।
''हां बहू! वहां के एक बड़े वकील के घर रिश्ता हुआ था कमल का-रायजादा राजकिशन के घर।''
अंजना ने जब अपने मामा का नाम सुना तो उसके पांव तले से जमीन निकल गई। वह अपने-आपमें ही न रही। वह अपने ही बोझ से जैसे धरती में धंसती जा रही थी।
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