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कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582
आईएसबीएन :9781613015551

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


ड्राइवर ने यों तो उसे सन्तुष्ट कर दिया, लेकिन अंजना के दिल में समाया हुआ भय कम न हुआ। वह रास्ते के दोनों ओर फैला घना जंगल देखकर डरने लगी। उड़ते हुए बादल जब पेड़ों को छूते हुए निकल जाते तो वातावरण को और भयानक बना जाते। जब उसका संशय हद से ज्यादा बढ़ने लगा तो वह चिल्ला उठी, ''ड्राइवर! गाड़ी रोको।''

ड्राइवर ने कोई उत्तर नहीं दिया। उसने गाड़ी की चाल तेज कर दी। अंजना शंकित हो उठी। ड्राइवर की नीयत में खोट दिखाई दे रहा गया। उसने ड्राइवर का कंधा पकड़कर झंझोड़ दिया और उसे गाड़ी रोकने की आज्ञा दी। वह इसपर भी मौन ही रहा और टैक्सी की रफ्तार बड़ा दी।

अंजना ने उसकी सूरत सामने लगे आईने में देखी। उसके भद्दे और खुले होंठों पर दानवता नाच रही थी। आंखों की पुतलियों में खून उतर आया था। एक मानव दानव का रूप धारण कर रहा था। अंजना का दिल धक्-धक् कग्ने लगा। उसने अपने-आपको संभाला और राजीव को सीने से लगा लिया। दोनों ओर फैले घने जंगल देखते हुए वह फिर चिल्लाई-''ड्राइवर! गाड़ी रोक लो! मैं कहती हूं रोक लो वरना मैं दरवाजा खोलकर कूद जाऊंगी!''

लेकिन ड्राइवर के कानों पर जू न रेंगी। वह जानता था, वह ऐसा नहीं कर सकती। उसने जब गाड़ी न रोकी तो अंजना ने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया, लेकिन उसकी चिल्लाहट घने पेड़ों में दुबककर रह गई।

अंजना को एक नये खतरे का आभास हुआ। उसने अपनी साड़ी का आंचल खिड़की से बाहर निकाल दिया और जोर-जोर से चिल्लाने लगी। वह बेचारी बेबस और मजबूर उस शैतान के चंगुल से निकल जाना चाहती थी, लेकिन आबादी से मीलों दूर कोई होता तो उसका विलाप सुनकर उसकी सहायता को आता।

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