लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> कटी पतंग

कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582
आईएसबीएन :9781613015551

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

38 पाठक हैं

एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


कमल अपनी जीप गाड़ी में बैठा नैनी झील के किनारे-किनारे अंजना की तलाश में जा रहा था। उसे विश्वास था कि वह अवश्य ही उसे पा लेगा। कुछ देर के बाद उसे दूर सड़क के बायें किनारे एक सफेद साया-सा बढ़ता नजर आया। उसका अनुमान गलत नहीं था। वह ज्यों-ज्यों उसके निकट आ रहा था, उसे उस साये पर अंजना के अस्तित्व का विश्वास होता जा रहा था। आखिर करीब पहुंचकर उसने जीप गाड़ी के ब्रेक लगा दिए।

जीप गाड़ी के ब्रेक की चीख सुनकर अंजना वहीं ठिठककर खड़ी हो गई। उसे लगा जैसे वह चीख उसके भीतर की सारी पीड़ा समेटकर बाहर ले आई हो। उसने पलटकर कमल की ओर देखा जो उछलकर जीप गाड़ी से नीचे उतर आया था और अब उसी की ओर बढ़ रहा था। अंजना ने मुंह फेर लिया और झील के उस पानी को ओर देखने लगी जिसपर सुबह की हवा के झोंकों ने सरगम-सी छेड़ रखी थी।

''कहां जा रही हो अंजू'' कमल ने पास आकर पूछा।

''यह तो मैं स्वयं भी नहीँ जानती।'' उसने उसी प्रकार झील की ओर देखते हुए कहा।

''आखिर कोई मंजिल तो होगी?''

''मंजिल तो मैं कब की खो चुकी।''

''तो मेरी एक बात मान लो।''

''क्या?''

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book