लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> कटी पतंग

कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582
आईएसबीएन :9781613015551

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

38 पाठक हैं

एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


बनवारी ने एक तीखी नजर अंजना पर डाली। सोफे पर पड़ा हुआ अपना कोट उठाया, कंधे पर डाला और अंजू की बात का उत्तर देने की बजाय गुस्से से कंधा झटककर बाहर जाने के लिए दरवाजे की ओर बढ़ा। अंजना तो उसकी ओर देखती हुई चुपचाप खड़ी रही, लेकिन ज्योंही बनवारी ने दरवाजा खोलना चाहा, शबनम ने तड़पकर उसे अपनी पकड़ में ले लिया। बनवारी ने पूरे जोर से उसे परे धकेलकर दरवाजा खोल दिया।

लेकिन दरवाजा खुलते ही वह धक् से रह गया। उसके सामने इंस्पेक्टर तिवारी, कमल और दो सब-इंस्पेक्टर खड़े थे। बनवारी ने कंपकपाती नजरों से पहले उनकी ओर और फिर अंजना की ओर देखा जो बड़ी मजबूती से अपने स्थान पर खड़ी थी। आज उसने बनवारी से जीवन-भर का बदला ले लिया था।

''कानून से बच निकलना इतना आसान नहीं है बनवारी।'' इंस्पेक्टर तिवारी ने कहा।

''लेकिन इंस्पेक्टर...''

''मैं अपनी जिम्मेदारी खूब समझता हूं,'' उसने पिस्तौल तानकर कहा और फिर जरा रुककर बोला-''तुम्हें मेरे साथ पुलिस स्टेशन चलना होगा।''

''लेकिन क्यों-मैंने क्या अपराध किया है?''

''डिप्टी जगन्नाथ की हत्या और उनकी जायदाद हड़पने की साजिश।'' फिर इंस्पेक्टर तिवारी ने अपने सहायक को इशारा किया और वह हथकड़ी लिए हुए बनवारी की ओर बढ़ा।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book