ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
अंजना के दिल में जीने की अभिलाषा फिर से जाग उठी। शोक पर शोक सहन करते-करते उसके आंसू सूख गए थे। उसने दिल ही दिल में अपनी सखी की थाती को अपनाने का निश्चय किया। उसमें अंजू का मनहूस भेस छोड़कर पूनम के रूप में जीने का साहस आ गया। वह अतीत के दुख भूलकर आने वाले सुनहरे भविष्य की कल्पना करने लगी।
सहसा किसी कार्यकर्ता की आवाज ने उसे चौंका दिया जो उससे पूछ रहा था-''इनका नाम पूनम ही था ना?''
''जी।''
''इनसे आपका रिश्ता?''
''मेरी बड़ी बहन थी।''
''और यह बच्चा?''
''अब मेरे पास रहेगा।''
''यहां से कहां जाना है आपको?''
''नैनीताल।''
''कब?''
''मौका मिलते ही...''
''इस मौत की सूचना...?''
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