लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> कटी पतंग

कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582
आईएसबीएन :9781613015551

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

38 पाठक हैं

एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


डॉक्टर के साथ अंजना जब पूनम के पास लौटी तो पूनम.. ? पूनम इस दुनिया से विदा हो चुकी थी। डॉक्टर ने धीरे से उसकी खुली आंखों को बंद कर दिया। अंजना फूट-फूटकर रोने लगी। कुछ दिनों की मित्रता ने इतनी घनिष्ठता पैदा कर दी थी कि उसकी मौत से अंजना के दिल पर इतनी अधिक चोट पहुंची जो उसे अपनी दुर्दशा पर पहले नहीं पहुंची थी।

शोकातुर विलाप तथा डॉक्टरों ओर नर्सों की भाग-दौड़ से राजीव की आंख खुल गई। वह मां के लिए चिल्लाने लगा।

जब अस्पताल के दूसरे लोग पूनम की मौत पर आंसू बहा रहे थे, अंजना एक ओर खड़ी बच्चे की चिल्लाहट सुन रही थी। सहसा उसकी दृष्टि राजीव से हटकर पूनम की ओर चली गई उसके अंतिम दर्शन के लिए।

अंजना को आभास हुआ जैसे पूनम के नीले होंठों से अब भी ये शब्द निकल रहे हैं-'यह झूठी तसल्ली है, वादा करो अंजू! तुम राजीव को अपना लोगी। तुम मेरी जगह पूनम बन जाओगी। यह मेरी धरोहर होगा। तुम्हें एक सहारा चाहिए और उसे ममता। बोलो अंजू! बोलो! वचन दो।'

अंजना ने अपने कान बंद कर लिए। पूनम की पुकार सहसा बंद हो गई, लेकिन बच्चे के रोने की आवाज अभी तक उसके कानों को छेद रही थी। वह अधिक सहन न कर सकी। नारी का कोमल हृदय पिघल गया। उसके अंदर दबी हुई ममता मचल उठी। वह बेचैन हो गई। अपने हृदय को शांत करने के लिए वह राजीव की ओर बढ़ी और लपककर अपनी पूनम की अंतिम भेट को उठा लिया। अपने कलेजे से लगा लिया।

उसे कुछ धीरज मिला, कुछ शांति मिली। ज्वाला की तरह भड़कती-धधकती मानसिक विकलता में ठंडक पड़ गई। वह उस बच्चे के बदन की गरमी पाकर कुछ क्षण के लिए पूनम की सर्द मौत को भूल गई।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book