ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
''कौन कहता है कि वह ले गई? उसे तो मेरी दुकान की शक्ल देखे भी एक महीना हो गया है।''
''तो फिर और कौन ले जा सकता है?''
''कोई भी-यह कैसे संभव हो सकता है कि शीशी देखकर मैं ग्राहक को पहचान जाऊं।''
''लेकिन अपने रिकार्ड से नुस्खा तो निकाल सकते हो तुम?''
''उससे क्या होगा?''
''शायद एक निर्दोष की जान बच जाए।''
''यानी अंजू की-वह निर्दोष है क्या?''
''हां, अगर तुम साबित कर दो कि दवा की यह शीशी तुमसे कौन ले गया था।''
''लेकिन-तारीख-दिन?''
''यही कोई आठ-दस दिन पहले।''
राकेश ने झट से रिकार्ड की फाइल उठाई और उसमें से नुस्खे छांटने लगा। यह दवा कम बिकती थी इसलिए वह नुस्खा ढूंढ़ने में देर न लगी। कुछ दिन पहले का नुस्खा उसके हाथ में आ गया जिसे तुरन्त ही कमल ने उससे झपट लिया और गौर से पढ़ने लगा। नुस्खा शबनम के नाम का था और उसे डाक्टर काशीनाथ ने लिखा था। कमल ने डाक्टर काशीनाथ का पता पढ़ा और वह नुस्खा अपने पास रखना चाहा। इसपर राकेश ने मना करते हुए कहा-''कमल! तुम सिर्फ पता नोट कर लो। नुस्खा रहने दो ताकि डाक्टर गवाह बनने से इनकार न कर दे।''
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