ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
राकेश ने लेबिल पढ़ते ही कहा-''यह तो नींद के लिए है।''
''हां दोस्त! आजकल नींद नहीं' आती।''
''लेकिन यह दवा तो डाक्टर के नुस्खे के बिना नहीं दी सकती।''
''अरे ऐसा भी क्या! मैं कोई अजनबी तो नहीं हूं।''
''लेकिन दोस्ती के लिए कानून कैसे तोड़ा जा सकता है! यह दवा कोई आम दवा नहीं है। डाक्टरी नुस्खे के बिना बेचना जुर्म है।''
''क्या इस दवा से किसीकी मौत भी हो सकती है?''
''क्यों नहीं, अगर कोई दस-बारह गोलिया एकसाथ ले ले-लेकिन...।''
''तो एक बात सुनो राकेश।''
''क्या?''
''डिप्टी साहब की मौत इन्हीं गोलियों से हुई है।''
''ओह! तो क्या यह भी सच है कि यह काम उनकी बहू ने किया है?''
''हां-और वह वाकई अंजू ही है-तुम्हारी क्लासफेलो, जिसे तुम उस दिन पहचान गए थे-लेकिन वह गोल कर गई थी।''
'तभी कहूं-आज तक धोखा नहीं खाया यार ने-कहां है वह?''
''पुलिस की हिरासत में।''
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