ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
इंस्पेक्टर अब 'अच्छा चलता हूं' कहकर जाने लगा तो कमल ने उसे रोक लिया और पूछा-''तो अब क्या फैसला हो रहा है उसकी किस्मत का?''
''बात घर की बहू तक रहती तो मैं ही निबट लेता, लेकिन इस खून के बाद तो यह केस सेशन में ही चल सकता है।''
''इंस्पेक्टर!''
''हूं।''
''क्या किसी तरह मैं उससे एक बार मिल सकता हूं?''
''क्यों नहीं-तुम चाहो तो अभी मेरे साथ चल सकते हो।''
कमल ने कृतज्ञ नजरों से तिवारी की ओर देखा और उसके साथ हो लिया।
अंजना हवालात की कोठरी में अकेली बैठी थी। उसकी आंखों का पानी मर चुका था, लेकिन दिल अभी तक रो रहा था। उसने अपने उपकारी, उस देवता के अन्तिम दर्शन करने का भी निश्चय किया था, लेकिन इस कलंक के बाद वह लोगों का सामना करने का साहस न कर सकी। उस समय शाम ढल रही थी और ज्यों-ज्यों उस कालकोठरी की दीवारों से अंधेरे की चादर फैलते हुए उसके निकट आ रही थी, भय से उसका दिल डूबा जा रहा था।
अचानक कदमों की आहट सुनकर उसके कान खड़े हो गए। कोई उस कालकोठरी की ओर बढ़ा आ रहा था। शाम के धुंधलके में उसकी नजरें उन दीवारों से हटकर लोहे की उन सलाखों से जा टकराईं जहां अभी-अभी कोई आकर रुका था।
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